शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

सम्‍मान्‍यश्री अटलबिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत

स्‍वतंत्रता दिवस की पुकार 

15 अगस्‍त का दिन कहता,आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाकी हैं, रावी की शपथ न पूरी है।।
श्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व प्रधानमंत्री, भारत
जिनकी लाशों पर पग धर कर, आज़ादी भारत में आयी।
वे अब तक है खानाबदोश, गम की काली बदली छायी।।

कलकत्‍ते के फुटपाथों पर, जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्‍द्रह अगस्‍त के,बारे में क्‍या कहते हैं।।

हिन्‍दू के नाते उनका दु:ख, सुनते यदि तुम्‍हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो, सभ्‍यता जहाँ कुचली जाती।।

इन्‍सान जहाँ बेचा जाता, ईमान खरीदा जाता है।
इस्‍लाम सिसकियाँ भरता है, डॉलर मन में मुस्‍काता है।।

भूखों को गोली, नंगों को, हथियार पिन्‍हाये जाते हैं।
सू्खे कंठों से जेहादी, नारे लगवाये जाते हैं।।

लाहौर, कराची, ढाका पर, मातम की है काली छाया।
पख्‍तूनों पर, गिलगित पर है, ग़मगीन ग़ुलामी का साया।।

बस, इसीलिए कहता हूँ, आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्‍लास मनाऊँ मैं, थोड़े दिन की मजबूरी है।।

दिन दूर नहीं खंडित भारत को, पुन: अखंड बनायेंगे।
गिलगिट से गारो पर्वत तक, आज़ादी पर्व मनायेंगे।।

उस स्‍वर्ग दिवस के लिए आज से, कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जायँ, जो खोया उसका ध्‍यान करें।।

प्रो0 श्‍यामलाल उपाध्‍याय सम्‍पादित *काव्‍य मंदाकिनी* (2009-10)
राष्‍ट्रीय भावधारा अंक काव्‍य संग्रह से  साभार।  

1 टिप्पणी:

डा. रघुनाथ मिश्र् ने कहा…

स्श्रेश्त रचना.
डा. रघुनाथ मिश्र्