बुधवार, 5 जून 2013

श्रीमती संध्‍या सिंह, मेरठ

'' पुनर्जन्म ''

पुनर्जन्‍म 
श्रीमती संध्‍या सिंह जी
मरघट जैसे पुस्तकालय की 
कब्रगाह सरीखी शेल्फ ,
जिसमे बरसों ......
ठोस जिल्द के ताबूत में 
ममी की तरह रखी
अनछुई 
मुर्दा किताब ,
जी उठती है अचानक 
दो हाथों की ऊष्मा पाकर ,
सांस लेने लगते हैं पृष्ठ 
अनायास 
उँगलियों का स्पर्श मिलते ही ,
धड़कने लगते हैं शब्द 
घूमती हुई 
आँख की पुतलियों के साथ ,
बड़ी फुर्ती से रंग भरने लगता है 
हर दृश्य में 
ज़ेहन का चित्रकार 
और चहल कदमी करने लगते हैं 
पन्नों से निकल कर 
किरदार,
और अंततः ...
गूंजने लगती हैं 
आवाजें भी,
कानों में सभी कुछ 
बोलने लगती है 
एक गूंगी किताब |
यह सब कुछ अचानक हो जाता है 
एक निर्जीव पुस्तक के साथ ....
क्यूँ कि ...
लौट आती है आत्मा 
उसके भीतर ,
एक संजीदा पाठक 
मिलते ही 
अकस्मात......!!

http://www.facebook.com/sandhya.singh.9231 संध्‍याजी से स्‍वीकृति ले कर उनके फेसबुक पृष्‍ठ से साभार प्रकाशित। 

सोमवार, 3 जून 2013

गोपाल कृष्‍ण भट्ट 'आकुल', कोटा

नीम 

नवल बधाई 

आया संवत्‍सर
वृक्षों ने ली अँगड़ाई।
नवल कोंपले नीम की
मिश्री संग खाई।
नवल बधाई।

दशकुलवृक्ष कुटुम्‍ब के
तुम विटप प्रमाण
नख से शिर तक
रोग निवारक रक्षक त्राण
ॠषि मुनि संत शास्‍त्रों ने
है महिमा गाई।
नीम 
नवल बधाई।

पुष्‍प गुच्‍छ सुगंधित
मधुमय फल खिरनी से
मधुकर के अनुगुंजन
उच्‍छृंखल हिरनी से
वृक्षावलि से हरियाली
पथ पथ पर छाई।
नवल बधाई।

नीम तुम्‍हारा है अस्तित्‍व
युगों युगों से
मानवता के तुम सहयोगी
युगों युगों से
पर्यावरण मित्र
तुम्‍हारा संग सुखदाई।
नवल बधाई।

31 मई को 'नवगीत की पाठशाला' में प्रकाशित हुआ। चित्र में 'नीम', शीर्षक 'नवल बधाई' और 'नवगीत की पाठशाला' पर क्लिक करें और विस्‍तार से जानकारी पायें।