सान्निध्य दर्पण
यादों के झरोखों से
मंगलवार, 31 दिसंबर 2013
सान्निध्य: आगत का स्वागत करो, विगत न जाओ भूल
सान्निध्य: आगत का स्वागत करो, विगत न जाओ भूल
: 1- आगत का स्वागत करो, विगत न जाओ भूल उसको भी सम्मान से, करो विदा दे फूल करो विदा दे फूल, सीख लो जाते कल से तोड़ दिये यह भ्रम, बँध...
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