रविवार, 28 अक्तूबर 2012

राम गोपाल राही, लाखेरी (राजस्‍थान)

माँ
माँ की ममता अतुल प्रेम की
स्‍मृतियाँ गंगाजल
माँ के बिना कहाँ इस जग में
मिले स्‍नेह का आँचल
अधर-हृदय सच माँ का मंदिर
निर्मल मूरत माँ की
छवि अनोखी-अनुपम-सुन्‍दर
जब देखो तब माँ की
माँ का आशीर्वाद, भावना
है माथे का चंदन
करे सुवासित जीवन भर ही
माँ का स्‍मरण वंदन
ईश्‍वर ज्ञानाभास बाद में
पहले माँ का होता
माँ की गोद
स्‍वर्ग की सुषमा
स्‍नेह अनमोल खजाना
मातृ हृदय बैकुंठ निरुपम
ईश्‍वर ने भी जाना
अमृत को देखा कहाँ जग में
किसने भला पिया है
सच माँ स्‍तन पान ही अमृत
उसने जिसे पिया है।

दृष्टिकोण प्रवेशांक से साभार  

1 टिप्पणी:

डा.रघुनाथ मिश्र् ने कहा…

"मा की ममता अतुल प्रेम की
स्म्रितियाँ गंगाजल्"

डा. रघुनाथ मिश्र्