शनिवार, 30 दिसंबर 2017

प्‍यार में अच्‍छी लगे तकरार भी (गीतिका)



छंद- आनंदवर्धक
मापनी- 2122 2122 212
पदांत- भी
समांत- आर

प्यार में अच्छी लगे तकरार भी.
जीत में मिलती रही है हार भी.

बाग़ सब मिलते नहीं फूलों भरे,
संग फूलों के मिलेंगे ख़ार भी.

राह कैसी भी मिले चलते रहो,
ढूँढ़ लोगे एक दिन तुम यार भी.

बात तब दोनों तरफ ही आग हो,
टूट के करते हों' दोनों प्यार भी.

युद्ध में अरु प्रेम में जायज है' सब,
है जुनूँ तो है झुका संसार भी.

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