कण कण में रमते श्रीराम
जन जन के मन में घनश्याम
डग-डग पर है पावन धाम
किरीट हिमगिरि धवल ललाम
करते देव यक्ष नित वन्दन।
मेरे देश की माटी चन्दन।।
गूँजे वरद वेद की बानी
सदा नीरा नदियाँ सुहानी
तिरंगा कहे मुक्ति कहानी
संत भक्त की अमर निशानी
षट् ॠतुओं का नन्दनवन।
मेरे देश की माटी चन्दन ।।
सब धर्मों की यह फुलवारी
महक रही केसरिया क्यारी
जगत् गुरु की महिमा न्यारी
दुर्गा रमा शिवा सी नारी
जलधि करे चरणों का चुम्बन।
मेरे देश की माटी चन्दन।
डा0 जयसिंह अलवरी सम्पादित 'राष्ट्र नमन' काव्य संकलन से साभार।
जन जन के मन में घनश्याम
डग-डग पर है पावन धाम
.jpg)
करते देव यक्ष नित वन्दन।
मेरे देश की माटी चन्दन।।
गूँजे वरद वेद की बानी
सदा नीरा नदियाँ सुहानी
तिरंगा कहे मुक्ति कहानी
संत भक्त की अमर निशानी
षट् ॠतुओं का नन्दनवन।
मेरे देश की माटी चन्दन ।।
सब धर्मों की यह फुलवारी
महक रही केसरिया क्यारी
जगत् गुरु की महिमा न्यारी
दुर्गा रमा शिवा सी नारी
जलधि करे चरणों का चुम्बन।
मेरे देश की माटी चन्दन।
डा0 जयसिंह अलवरी सम्पादित 'राष्ट्र नमन' काव्य संकलन से साभार।
1 टिप्पणी:
shresht rachanaa.
-DR. RAGHUNATH MISRA.
एक टिप्पणी भेजें