अशआर
दर्द का इतिहास है हिन्दी ग़ज़ल
एक शाश्वत प्यास है हिन्दी ग़ज़ल
सभ्यता के नाम पर क्या गाँव से आए शहर
एक प्याला चाय बन कर रह गई है ज़िन्दगी
दोस्ती मतलब परस्ती बन गई
आस्था का सेतु थर्राने लगा
दिल में सौ घाव आँख में पानी
मैंने ये हाल उम्र भर देखा
हमने उनके भी बहुत काम किये
जिनसे अपने न कोई काम चले
हम ख़यालों में सही, पर आपके ही साथ में
उड़ के छूना चाहते हैं, नित ऊँचाइयाँ
श्री अशोक अंजुम और शंकर प्रसाद करगेती सम्पादित 'प्रयास' के स्वर्ण जयंती अंक से आभार
दर्द का इतिहास है हिन्दी ग़ज़ल

सभ्यता के नाम पर क्या गाँव से आए शहर
एक प्याला चाय बन कर रह गई है ज़िन्दगी
दोस्ती मतलब परस्ती बन गई
आस्था का सेतु थर्राने लगा
दिल में सौ घाव आँख में पानी
मैंने ये हाल उम्र भर देखा
हमने उनके भी बहुत काम किये
जिनसे अपने न कोई काम चले
हम ख़यालों में सही, पर आपके ही साथ में
उड़ के छूना चाहते हैं, नित ऊँचाइयाँ
श्री अशोक अंजुम और शंकर प्रसाद करगेती सम्पादित 'प्रयास' के स्वर्ण जयंती अंक से आभार
1 टिप्पणी:
सुन्दर.
डा. रघुनाथ
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