सब्जी बेचने वाली महिलाएँ
अपने सर पर उठाए बोझा
मोहल्ले-मोहल्ले घूम कर
आवाज लगाती
'सब्जी ले लो'
कौन कहता है कि महिलाएँ
कमजोर होती हैं
पुरुष सुबह टहलने के लिए
उठने और चलने में
आलस कर जाता है
मगर महिलाएँ आज भी
बच्चों को पालने
घर को सम्हालने
रोजगार में आगे हो गई हैं
पुरुषों से महिलाएँ
स्त्री सशक्तिकरण के पक्ष से
श्रम की परिभाषा
क्या होती है
ये पुरुषों को समझा जाती हैं।
कमलेश व्यास 'कमल' सम्पादित 'शब्द सागर' अखिल भारतीय काव्य संकलन से साभार।
अपने सर पर उठाए बोझा
मोहल्ले-मोहल्ले घूम कर
आवाज लगाती
'सब्जी ले लो'
कौन कहता है कि महिलाएँ
कमजोर होती हैं
पुरुष सुबह टहलने के लिए
उठने और चलने में
आलस कर जाता है
मगर महिलाएँ आज भी
बच्चों को पालने
घर को सम्हालने
रोजगार में आगे हो गई हैं
पुरुषों से महिलाएँ
स्त्री सशक्तिकरण के पक्ष से
श्रम की परिभाषा
क्या होती है
ये पुरुषों को समझा जाती हैं।
कमलेश व्यास 'कमल' सम्पादित 'शब्द सागर' अखिल भारतीय काव्य संकलन से साभार।
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