शनिवार, 22 सितंबर 2012

शकूर अनवर

दिल से जब दिल जु़दा नहीं होता
दायें से तीसरे शकूर अनवर
फि‍र कोई फासला नहीं होता
आप होते रहें ज़माने के
हर कोई आपका नहीं होता

उसकी इंसानियत नहीं मरती
वो अगर देवता नहीं होता
खु़द के बारे में सोचना छोड़ो
इस में सब का भला नहीं होता
डर के बाइस दुआएँ मत माँगो
बुज़दिलों का खु़दा नहीं होता
चेहरे होते हैं सब के पास ‘अनवर’
सब के पास आईना नहीं होता

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