सोमवार, 12 नवंबर 2012

उदयकरण 'सुमन', रायसिंह नगर (श्रीगंगानगर)

धर्म मोक्ष का धाम है ज़िन्‍दगी
अर्थ काम का मुक़ाम है ज़िन्‍दगी
भरत के लिए चरण पादुका है
लो लछमन को राम है ज़िन्‍दगी
मीरा को गिरधर गोपाल सी
संतो को राम नाम है ज़िन्‍दगी
साधक को वेदमंत्र साधना है
विषयी को गोरा चाम है ज़िन्‍दगी
सरफरोश शहीदों की नज़र में
शहादत का नाम है ज़िन्‍दगी
रिन्‍दों का साक़ी मयकदा है
सागरो मीना जाम है ज़िन्‍दगी
प्रतिम लेखनी है सृजन की
सतत गति का नाम है ज़िन्‍दगी

दृष्टिकोण 8-9 (ग़ज़ल संग्रह) से साभार 

1 टिप्पणी:

डा. थ मिश्र् ने कहा…

सार्थक पंक्तियाँ. बधाई.
डा. रघुनाथ मिश्र्