शनिवार, 10 नवंबर 2012

विपिन मणि कौशिक, कोटा



तूफ़ाँ से टकराये कौन, नैया पार लगाये कौन?
जलती हुई मशालें थामे, तम को दूर भगाये कौन?
जो संघर्षों में घायल है, उनको हक़ दिलवाये कौन?
खून पसीना बहे किसी का, बैठ मज़े से खाये कौन?
सारे दर्पण धुँधलाये हैं, चेहरा साफ़ दिखाये कौन?
जाने किसने क़त्‍ल किया है, जाने पकड़ा जाये कौन?
जो गुण्‍डे को गुण्‍डा कहता, उसके प्राण बचाये कौन?
झौंपड़ियों की पीड़ाओं को राजभवन पहुँचाये कौन?
सर ढकने की जगह न खु़द को, अपने घर में आए कौन?
किसने वीराँ किया ‘विपिन’ को, दुनिया को समझाये कौन?

पुस्‍तक 'मैं समय हूँ' से साभार

1 टिप्पणी:

DrRaghunath Mishr 'Sahaj' ने कहा…

saathee vipin mani mahaan kavi aur mahaan vyakti the.jeewan bhar maanav jaati ke kalyaan mein lage rahe is vibhuti ko salaam.
R. RAGHUNAATH MISHR