शुक्रवार, 17 मई 2013

डा0 शरदनारायण खरे, मंडला (म0प्र0)

अधरों पर मीठा गान है माँ
हर बच्‍चे की जान है माँ
जिसको सुनकर ही सूर्य जगे
प्रात: का मंगलगान है माँ
बिस्मिल्‍ला की शहनाई तो
तानसेन की तान है माँ
जो बाइबिल है, गुरुवाणी है
रामायण और कुरान है माँ
सचमुच जो संध्‍यावंदन है
आरती-भजन, अज़ान है माँ
सारे घर की रौनक जिससे
हर बच्‍चे की तो शान है माँ
माँ के रहने से खुशहाली
विधना का इक वरदान है माँ
लक्ष्‍मी दुर्गा और सरस्‍वती
देवों का जयगान है माँ
' शरद' आज यह कहता सबसे
जीवन का अरमान है माँ।।

दृष्टिकोण सोपान 11 से साभार 

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