खुशबू इत्र में होती है
फूल, अगर और धूप में भी
मगर एक खुशबू और भी है सब से अलग,
यह खुशबू प्यार की है
एकता और सौहार्द की है
माँ का बेटे से, बहिन का भाई से-
जो प्यार होता है,
उससे घर परिवार महकता है
मन चाहता है कि मेरे पड़ौस के लोग
एक दूसरे के साथ ऐसी मोहब्बत करें
इतना प्यार दें कि मेरा पड़ौस,
पड़ौस का एक-एक घर-आँगन
सब महक जायें सौहार्द-भाईचारा और
अपनेपन की खुशबू से, मगर उसी पल
याद आ जाता है ‘देशप्रेम’
जो कितना ऊँचा, कितना भारी, कितना पवित्र है
देश अपने नाम पर
मर मिटने वाले को अमर बना देता है
आदमी के ऊपर से उसकी पीढ़ी दर पीढ़ी का
कर्ज़ उतार देता है।।
दृष्टिकोण-7 से साभार