जिनके कंधों पर होने चाहिए थे बस्ते
उनके कंधे पर देखता हूँ
लटके हुए मोमजामे के थैले और
सड़क पर बिखरी हुई
प्लास्टिक की थैलियों को
समेटते हुए वे छोटे छोटे हाथ
सुनता हूँ उनके अबोध
हँसते मस्ती में गाते फिल्मी गीत
काश !
पैबंद का दर्द जान पाते
शहर में बहुत कचरा फैला हुआ है
समेटना है, कमाई करनी है
आज खूब माल मिलेगा
और फिर मनायेंगे
हम भी नया साल!!
'कचरे का ड्रम'- से
उनके कंधे पर देखता हूँ
लटके हुए मोमजामे के थैले और
सड़क पर बिखरी हुई
प्लास्टिक की थैलियों को
समेटते हुए वे छोटे छोटे हाथ
सुनता हूँ उनके अबोध
हँसते मस्ती में गाते फिल्मी गीत
काश !
पैबंद का दर्द जान पाते
बेखौफ बचपन का मजाक उड़ाते
पूछना चाहता हूँ उन्हें रोक कर,
पर फिल्मों से चुराया एक शबद बोलते हैं-
सॉरी ! हमें जल्दी है
कल नये साल की
खुशियाँ मनाई थीं नकल नये साल की
शहर में बहुत कचरा फैला हुआ है
समेटना है, कमाई करनी है
आज खूब माल मिलेगा
और फिर मनायेंगे
हम भी नया साल!!
'कचरे का ड्रम'- से
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