यादों का यदि संबल होगा
जीवन सुख से कट जाएगा
साथ तुम्हारा प्रतिपल
होगा
प्यार-मुहब्बत से न रहे
तो
हर पल घर में दंगल होगा
आज हमारी मुट्ठी में है
क्यों सोचें फिर क्या
कल होगा
औरों को यदि धोखा दोगे
साथ तुम्हारे भी छल होगा
ले लो खूब दुआएँ माँ की
इससे मीठा क्या फल होगा
’जीत’ कदापि नहीं हारोगे
मन में यदि नैतिक बल
होगा।
'दृष्टिकोण' प्रवेशांक से साभार
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