नव निर्माण की चुनौती
कायाकल्प की आशा
विकास की सोच
समाज सुधार की धारणा
जीवन मूल्यों की रक्षा
राष्ट्र की प्रगति
सम्भव होगी एकता से।
मातृभूमि की अस्मिता
मान मूल्यों की उत्कृष्टता
समरसता की अवधारणा
अक्षुण्ण रहेगी समानता से।
बौद्धिक शक्ति की लब्धता
विकास क्षेत्र की प्रवीणता
संस्कृति की अटूटता
सुरक्षित रहेगी समर्पण से।
सर्वधर्म समभाव से अनुप्राणित
स्वस्फूर्त ऊर्जा से अनुशासित
दायित्व-बोध से सुस्थापित
इस राष्ट्र की सशक्तता हो
सदा अबाधित।।दृष्टिकोण-7 से साभार
1 टिप्पणी:
श्रेशट कथ्य से भर्पूर रचना के लिये सधुवाद.
डा. रघुनाथ मिश्र्
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