मासूमों का खून बहाया नाहक दहशतगर्दों ने
दिल की अपनी प्यास बुझाई आतंकी नामर्दों ने
सच्चाई को उगल दिया है आज पुरानी फर्दों ने
किसने रची है इस साजिश को इसमें किसका हाथ रहा
राज़ छुपाए रखा है शायद चंद सियासी पर्दों ने
ढेरों जानें गई हैं, लेकिन प्यार मोहब्बत ज़िन्दा है
दुनिया को पैग़ाम दिया है भारतवासी मर्दों ने
देख के जिनको हैवानों की काँप उठी है रूहें भी
'फाईज़’ ऐसा काम किया है अमन के दुश्मन बेदर्दों ने
1 टिप्पणी:
shresht rachna ke liye dr. faiz ko hardik badhai.
jan kavi dr. raghunath misra
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