कीमती से कीमती
विचार जो
तुम्हीं तक
रह जाएँ सीमित
किताबों में ही
होकर रह जाएँ कैदी
न पहुँचें जो
हजारों-हजार
दिलों तक अँधेरे में
फूट न सकें
उजाले की तरह और
जगा न सकें
संकल्प और
सपने नये तो
किस काम के हैं
वे विचार और
किसलिए लादे
फिर रहे हो
तुम अकेले ही उन्हें
इस वीराने में
आओ
मिल-जुल कर
विचारों को दें
हम उस तरह
जिन्दगी जैसे
बीजों को देते हैं
मिट्टी, खाद और पानी-----
श्री रवींद्र शर्मा, बिजनौर सम्पादित 'काव्य सरोवर' से साभार
विचार जो
तुम्हीं तक
रह जाएँ सीमित
किताबों में ही
होकर रह जाएँ कैदी
न पहुँचें जो
हजारों-हजार
दिलों तक अँधेरे में
फूट न सकें
उजाले की तरह और
जगा न सकें
संकल्प और
सपने नये तो
किस काम के हैं
वे विचार और
किसलिए लादे
फिर रहे हो
तुम अकेले ही उन्हें
इस वीराने में
आओ
मिल-जुल कर
विचारों को दें
हम उस तरह
जिन्दगी जैसे
बीजों को देते हैं
मिट्टी, खाद और पानी-----
श्री रवींद्र शर्मा, बिजनौर सम्पादित 'काव्य सरोवर' से साभार
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