रविवार, 23 दिसंबर 2012

डा0 रघुनाथ मिश्र, कोटा


बनना व बनाना ,कोई आसान नहीं है.
अंदर से दे आनन्दवो सामान नहीं है.
अख़लाक़ की कमी न हो, ये बात जरूरी,
सच्चाई बयानी , कोई अपमान नहीं है.
सारी उमर में आज तलक, होश ही नहीं,
समझ न पायें लोग, वो व्याख्यान नहीं है.
औरों के लिये जिया जो, नादान नहीं है.
जिसमें मदद नहीं, किसी लाचार के लिये,
सचमुच ही मुक़म्मल, वो खानदान नहीं है.
बैठे-बिठाए भेजे, जरूरत की सभी चीज़,
इस जग में इस तरह का, आसमान नहीं है.
कठिनाइयों से जूझ कर फ़ौलाद बनेंगे,
रोना किसी मसले का समाधान नहीं है.

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